3 .बलिदान दिवस विशेष “स्वतंत्रता सेनानी राजा बख्तावर सिंह”

बलिदान दिवस विशेष “स्वतंत्रता सेनानी राजा बख्तावर सिंह”


मध्य प्रदेश के धार जिले में विन्ध्य पर्वत की सुरम्य शृंखलाओं के बीच द्वापरकालीन ऐतिहासिक अझमेरा नगर बसा है ! 1856 में यहाँ के राजा बख्तावरसिंह के पूर्वज मूल रूप से जोधपुर (राजस्थान) के राठौड़ वंशीय राजा थे ! पहले अमझेरा राज्य बहुत बड़ा था, जिसमें भोपावर तथा दत्तीगाँव भी सम्मिलित थे ! कालान्तर में अमझेरा, भोपावर और दत्तीगाँव पृथक-पृथक राज्य हो गए ! 

सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के समय अमझेरा के शासक थे महाराणा बख्तावरसिंह ! इनके पिता का नाम राव अजीतसिंह और माता का नाम रानी इन्द्रकुँवर था ! महाराणा को शिक्षा-दीक्षा एवं अस्त्रों के संचालन का अच्छा प्रशिक्षण दिया गया था, उनके धार तथा इन्दौर के शासकों के साथ अच्छे मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध थे ! इनकी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखने हेतु ही ब्रितानीयों ने यहाँ फौजी छावनी स्थापित की थी और पॉलिटिकल एजेन्ट भी नियुक्त किए थे ! 

1856 में यहाँ के राजा बख्तावरसिंह ने अंग्रेजों से खुला युद्ध किया पर उनके आसपास के कुछ राजा अंग्रेजों से मिलकर चलने में ही अपनी भलाई समझते थे ! राजा ने इससे हताश न होते हुए तीन जुलाई, 1857 को भोपावर छावनी पर हमला कर उसे कब्जे में ले लिया ! इससे घबराकर कैप्टेन हचिन्सन अपने परिवार सहित वेश बदलकर झाबुआ भाग गया ! क्रान्तिकारियों ने उसका पीछा किया पर झाबुआ के राजा ने उन्हें संरक्षण दे दिया ! इससे उनकी जान बच गयी !

भोपावर से बख्तावर सिंह को पर्याप्त युद्ध सामग्री हाथ लगी ! छावनी में आग लगाकर वे वापस लौट आये ! उनकी वीरता की बात सुनकर धार के 400 युवक भी उनकी सेना में शामिल हो गये पर अगस्त, 1857 में इन्दौर के राजा तुकोजीराव होल्कर के सहयोग से अंग्रेजों ने फिर भोपावर छावनी को अपने नियन्त्रण में ले लिया !

इससे नाराज होकर बख्तावर सिंह ने 10 अक्तूबर, 1857 को फिर से भोपावर पर हमला बोल दिया ! इस बार राजगढ़ की सेना भी उनके साथ थ�